नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेरियम युक्त पटाखों के प्रति पूरे देश में प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है, जिससे प्रदूषण को नियंत्रित करने का जिम्मा सभी नागरिकों पर आया है। अदालत ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों को पारंपरिक पटाखों के प्रयोग पर निषेध लागू करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश ने यह निर्णय दिया कि जनता को प्रदूषण के असरों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "बच्चे अब इस प्रदूषण के कहर से बचने के लिए पटाखों का प्रयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन बड़े लोग इसे अब भी करते हैं। हमें इस मिथ्या धारणा को दूर करना होगा कि प्रदूषण और पर्यावरण के मुद्दों पर सोचना सिर्फ सरकार का काम है। वायुमंडल में प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण में हर नागरिक का सहयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है।"
इस निर्णय के साथ ही बेरियम युक्त पटाखों के प्रति प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर एक याचिका की सुनवाई भी की गई थी। इस मामूली बढ़ती हुई प्रदूषण से निपटने के लिए अदालत ने राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि दीपावली और अन्य त्योहारों के दौरान लोग पटाखे सिर्फ रात 8 बजे से 10 बजे तक ही चला सकें, जिससे नागरिकों को नींद की सुरक्षा और प्रदूषण की घातकता कम हो।
इस निर्णय से सम्बंधित एक प्रमुख वकील ने कहा, "राज्य सरकारों को इस निर्णय का पालन करना होगा, लेकिन इसमें सामाजिक जागरूकता और जनहित का सर्वोत्तम संरचना किया जाना चाहिए। हम सभी को इस प्रदूषण मुक्त त्योहार को साकार करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा।"
सुप्रीम कोर्ट की इस ऐतिहासिक निर्णय के परिणामस्वरूप, सभी राज्यों को आने वाले त्योहारों में बेरियम युक्त पटाखों का उपयोग नहीं करने की प्रेरित करता है। यह निर्णय न केवल वायुमंडल में प्रदूषण को कम करने के लिए है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संकेत भी है कि जनता को भी अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
इस निर्णय के प्रमुख दृष्टिकोन से एक सवाल उठता है कि अब हमें अपने उत्सवों को और भी स्वास्थ्यप्रद बनाने के लिए कैसे योजना बनानी चाहिए। क्या हमें अब अन्य प्रकार के उत्सवों की ओर अपनी ध्यान देनी चाहिए, जो पर्यावरण को हानि पहुंचाने में कम योगदान देंगे?
इस निर्णय का पालन करते हुए, जरूरत है कि हम सभी एक जागरूक, सामाजिक जिम्मेदार, और पर्यावरण संरक्षण में सहयोगी बनें। हमें नहीं सिर्फ अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संवेदनशील बनना होगा।
इस निर्णय के अद्यतन संस्करण के साथ, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लोगों को प्रदूषण की घातकता को समझाना होगा। सरकारों को भी इस निर्णय के प्रभाव को महसूस करते हुए अपनी योजनाओं को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस तरह की पहली कदम संपूर्ण समाज के सहयोग से ही संभव है। हम सभी को यह समझना होगा कि प्रदूषण का नियंत्रण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी का दायित्व है। हमें अपने कार्यों के परिणामों को समझना होगा और प्रदूषण को कम करने के लिए एक सामूहिक प्रयास में शामिल होना होगा। इस प्रकार हम सभी मिलकर स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम से कदम मिलाकर चल सकते हैं।

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